MVVVPP maharishi mahesh yogi

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2017
  • Republic Day

    2017

    National Flag of India was hoisted at Gurudev Brahmanand Saraswati Ashram, Chhan Bhopal byBrahmachari Girish Ji with Acharyas, Vedic Pundits and staff of Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham. After National Anthem, Rashtra Sukta was also chanted by Yajurvedi Pundits. Addressing the audience Brahmachari Girish Ji said that India is the supreme power in the world having ancient Vedic knowledge and Vedic practical technologies. We need to continue researches to present the knowledge scientifically to the world and to revive the knowledge and techniques. India could offer peace, prosperity, perfect health and invincibility to our dear world family easily. All Vedic scholars have to work together with the sankalapa of creating Heaven on Earth and not deviate with external material attractions.
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  • Birth Centenary Year

    2017

    On the occasion of Birth Centenary Year of His Holiness Maharishi Mahesh Yogi Ji, Maharishi Organisations of India are organising 100 conferences, 1000 TM and Yog camps and Yagyas at major Ganapati Ji including Ashta Vinayakas, Vishnu Ji, Surya Dev, Dwadash Jyotirlingas and Shaktipeeths. Part of these Yagyas, at 30 Shaktipeeths Shri Shatchandi Yagya is being organised at Chaitra Navaratri of year 2017.
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  • Shri Shatchandi Yagya Bhramarambika Devi Shrisailam.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Bhramarambika Devi Shrisailam.
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  • Shri Shatchandi Yagya Bhramarambika Devi Shrisailam.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Bhramarambika Devi Shrisailam.
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  • Shri Shatchandi Yagya Vijayasan Devi Salkanpur.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Vijayasan Devi Salkanpur.
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  • Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.
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  • Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.
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  • Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.

    2017

    Shri Shatchandi Yagya Lalita Devi Naimisharanya.
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  • Shri Saharachandi Mahayagya at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal.

    2017

    Brahmachari Girish Ji performing Aarti at Shri Saharachandi Mahayagya organised at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal. The Mahayagya is completed today on Ram Navami. Poornahuti of Yagya, Maha Aarti, Yagya Parikrama, Kanya Devi Bhoj and Prasad Vitaran was organised at grand scale. Thousands of devotees from long distance attended the celebration. Brahmachari Girish Ji on completion of Yagya said that this is a great fulfillment for him fulfilling Maharishi Ji's pious sankalpas of organizing big Yagyas for the well of our dear world family.
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  • Shri Saharachandi Mahayagya at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal.

    2017

    Brahmachari Girish Ji taking Sankalpa at Shri Saharachandi Mahayagya at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal. The Mahayagya is completed today on Ram Navami. Poornahuti of Yagya, Maha Aarti, Yagya Parikrama, Kanya Devi Bhoj and Prasad Vitaran was organised at grand scale. Thousands of devotees from long distance attended the celebration. Brahmachari Girish Ji on completion of Yagya said that this is a great fulfillment for him fulfilling Maharishi Ji's pious sankalpas of organizing big Yagyas for the well of our dear world family.
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  • Shri Hanuman Ji's birth Day celebration.

    2017

    On 11 April, the auspicious day of full moon, Shri Hanuman Ji's birth Day was celebration at Maharishi Ved Vigyan Vidyapeeth, Brahmsthan of India. Brahmachari Girish Ji participated in Pujan with Maharishi Vedic Pundits.
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  • Brahmachari Girish Ji is presenting Maharishi Yog and TM book.

    2017

    Brahmachari Girish Ji is presenting Maharishi Yog and TM book to Acharya Updeshkrishna Shastri Ji on Ram Navami Day.
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  • Acharya Updesh Krishna Shastri Ji doing Katha.

    2017

    Acharya Updesh Krishna Shastri Ji doing Katha.
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  • Akshaya Tritiya Celebration at Jagannathpuri by Maharishi Organisation.

    2017

    Akshaya Tritiya Celebration at Jagannathpuri by Maharishi Organisation.
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  • Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa

    2017

    Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa
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  • Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa

    2017

    Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa
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  • Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa

    2017

    Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa
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  • Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa.

    2017

    Akshaya Tritiya Shri Vishnu Peeth Balasore Orissa.
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास। महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • ब्रह्मस्थान करौंदी में सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ब्रह्मस्थान करौंदी में विद्यार्थियों, आचार्यों एवं कारकर्ताओं द्वारा सामूहिक योगासन, प्राणायाम तथा भावातीत ध्यान का अभ्यास।
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  • त्र्यंबकेश्वर में अति रुद्राभिषेक

    2017

    महर्षि संस्थान द्वारा त्र्यंबकेश्वर में विश्व शांति के संकल्प सहित अति रुद्राभिषेक.
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  • महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ गुना

    2017

    महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ गुना में नवीन वैदिक विद्यार्थियों का यग्योपवीत संस्कार। विद्यार्थियों के अभिभावक एवम स्थानीय नागरिक संस्कार के साक्षी बने।
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  • Shri Prakash Shrivastava with his wife Smt. Nishi Shrivastava visited Maharishi Vedic Health Centre.

    2017

    Shri Prakash Shrivastava, a very senior leader of Maharishi Mahesh Yogi Ji's Global Movement has visited Bhopal with his wife Smt. Nishi Shrivastava. They have visited Maharishi Vedic Health Centre, Maharishi Vedic Sanskratik Kendra and Gurudev Brahmanand Saraswati Ashram at Bhopal. They have also performed Aarti at Shri Sahasrachandi Mahayagya organised by Maharishi Organisations at Bhopal. Both have appreciated and extended their appreciation and thanks to Maharishi Vedic Pundits and organisers. A wave of inspiration was enjoyed by all.
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  • 2017

    जीवन की गुणवत्ता बनाती है परिस्थितियों की गुणवत्ता भारत की अविच्छिन्न संत-परम्परा में परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी का एक अद्वितीय स्थान है। महर्षि जी एक व्यावहारिक संत रहे हैं और आज और आप को बुनियादी महत्व देते हैं। आज अर्थात् वर्तमान हमें प्रभु का उपहार है। आप अपने जीवन में आई किसी भी स्थिति से अधिक महत्वपूर्ण हैं। अतः इस आज और आप का सम्पूर्ण सदुपयोग होना चाहिये। हमारा उत्तरदायित्व तो सीमित है लेकिन परमात्मा की कृपा असीम है। यह अनुभव ही हमारा शिक्षक और मार्गदर्शक होना चाहिये। एक दिव्य उपस्थिति का अनुभव हमारे अस्तित्व का अविच्छिन्न किंतु मूल अवयव हैः चलूं तो ऐसा लगे कोई मेरे साथ चले। रूकूं तो कांधे पे जैसे किसी का हाथ लगे।। आकर्षण के लिये विकर्षण आवश्यक है। काम के लिये आराम आवश्यक है। अपना सर्वोत्तम संसाधन हम स्वयं ही हैं, काम करें तो पूरी निष्ठा से करें या फिर न करें। चाहे हमारे पास सारे उत्तर भले ही न हों लेकिन क्या हमारे पास सही प्रश्न हैं क्या हम अपने वातावरण, पर्यावरण, अपने समय और अपनी स्थिति-परिस्थिति को जानते हैं इनका पूरा-पूरा उपयोग करने के पहले इन्हें जानना आवश्यक है। ये परिस्थितियां आखिर कैसे बनतीं हैं ये तो हमारी स्थिति के अनुरूप अलग-अलग होती हैं- घर में अलग तो कार्यालय में अलग। कुछ हम जानबूझकर सप्रयास बनाते हैं और कुछ अनजाने में अप्रयास बन जाती हैं। मित्र तो सप्रयास बनाते हैं किंतु शत्रु कभी-कभी अनायास बन जाते हैं। इस बिन्दु पर गहराई से विचार करने पर स्पष्ट हो जाता है कि परिस्थितियों का अनायास निर्माण कर्म-सिद्धांत के अनुरूप है। हमारे वर्तमान अभिप्राय और प्रयास के स्त्रोत हमारे अतीतकालीन प्रभाव में होते हैं। चूंकि वर्तमान अभिप्राय अतीत मूलक हैं अतः हमारी परिस्थितियां अतीत और वर्तमान से मिलकर बनती हैं। हो सकता है कि लोगों से हमारे संबंध खराब हों। वे, हमारे विषय में अच्छा न बोलते हों। हो सकता है कि हमने किसी का कुछ भी न बिगाड़ा हो किंतु फिर भी हमारे विषय में गलतफहमियां हों तो इसे लेकर क्या स्पष्टीकरण देंगे दुनिया जैसी है उसे वैसे ही लेना होता है, बुरे-भले का दायित्व हमारा स्वयं का है। इसलिये हमारे सुख-दुःख के लिये हमारी परिस्थितियों से कहीं अधिक हम ही उत्तरदायी हैं क्योंकि अंततः हम ही इनके निर्माता हैं। अब फिर हम क्या करें घर बनाते समय उद्यान लगाया तो उसकी शीतल हरीतिमा से प्रसन्न रहें। यदि उद्यान नहीं लगा तो उसके अभाव का दुःख भूलकर कमरों की ऊष्मा से आनंद लें। यही एक उपाय है अपनी परिस्थितियों के सर्वोत्तम उपयोग का। स्वनिर्मित परिस्थितियों को स्वभावतः हम अपनी इच्छापूर्ति में सहायक मानते हैं। परिस्थितियों से लेने की यह तकनीक देने की मनोवृत्ति में है, प्रकृति का नियम है कि लेना है तो देना होगा। जो बोते हैं वही काटते हैं। उत्पादन से उपभोग होता है, माता-पिता अपनी संतान को सुरक्षा और स्नेह देते हैं और उसके बदले संतान के सुख से सुखी होते हैं। प्रेम से प्रेम और घृणा से घृणा मिलती है। एक बालक से भी प्रेम या कड़ाई के व्यवहार की प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। यही है कार्य-कारण या क्रिया-प्रतिक्रिया का सिद्धांत। यदि किसी के प्रति हमारे कर्म की सीधी प्रतिक्रिया नहीं होती है तो भी अप्रत्यक्ष प्राकृतिक प्रतिक्रिया पक्की समझिये। अतः हम अपनी परिस्थितियों से जो प्रतिक्रिया स्वयं के लिये चाहते हैं हमें उनके प्रति भी वही क्रिया करना चाहिए। परिस्थिति के सर्वोत्तम उपयोग का एक ही सूत्र है कि हम अपने लिये जो चाहते हैं उसके लिये भी वही करें। प्रकृति के नियमों को झुठलाया नहीं जा सकता। यदि कोई व्यक्ति हमसे ईर्ष्या करता है तो या तो हमने उससे ईर्ष्या की होगी या फिर किसी और से। अपना हृदय टटोलें तो सभी पता चल जायेगा। हमारी परिस्थितियां हमारे कर्मों का ही परिणाम हैं- वर्तमान के नहीं तो अतीत के। अतः यह आवश्यक है कि हम अच्छा सोचें, अच्छा करें। अंतरात्मा से शुद्ध रहें। उत्तम ऊर्जा स्थानांतरित होगी। हमारा वातावरण और अच्छा हो जायेगा। जब हम किसी बुराई का प्रतिकार उसी प्रकार करते हंी तो हम उसी बुरे निचले स्तर पर आ जाते हैं। बाहर का शिष्टाचार तो ठीक है किन्तु आंतरिक सद्व्यवहार हमारी परिस्थितियां बनाता है। इसके पश्चात यदि कुछ बुरा होता है तो उसके पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम या भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण करें। हममें कमियां हो सकतीं हैं। प्रत्येक मनुष्य में होती हैं। लेकिन यदि दाल में नमक के बराबर या सिन्धु में बिन्दु की भांति हो तो चलेगा। सहनशक्ति, प्रेम, मन की पवित्रता, क्षमा और निष्ठा ऐसे मूलाधार हैं जो हमें अपनी परिस्थितियों से आनंद प्राप्त करने में समर्थ बनाते हैं। यह जीवन में देने का मूल सिद्धांत है। वस्तु जगत और भावजगत में एक तुरीय चेतना का निवेश हो जाता है जो हमें हमारे मूल अर्थात् जीवनसत्ता से जोड़ देती है। परिस्थितियां दो प्रकार की होती हैं - जड़ और चेतन, सजीव और निर्जीव। कहते हैं कि ब्रह्माण्ड में कुछ भी निर्जीव नहीं है। भौतिक विज्ञान तो यही बताता है। सब में कम्पन्न, संवेदना और गति है, सबके भीतर ऊर्जा है। फिर भी सापेक्ष अस्तित्व के क्षेत्र में हम जड़ तथा चेतन का भेद करते हैं। घर को जड़ मानते हैं। गौ को चेतन परन्तु दोनों सर्वोत्तम उपयोग के लिये परस्पर महत्व का सिद्धांत ही फलप्रद है। अतः यदि हम परिस्थितियों का सदुपयोग करना चाहते हैं तो हमें भी उनके प्रसंग में सदुपयोगी होना पड़ेगा। घर और बगीचा दोनों जड़ हैं। लेकिन उन्हें सजाने, उनकी देखभाल करने और सामयिक रख-रखाव से वे भी हमारे आनंद के स्त्रोत हो जाते हैं। एक बीज कई गुनी उपज देता है। यही बात हमारे व्यवहार के साथ भी है। एक अन्य संदर्भ में विचार करें तो वहां भी दो प्रकार की परिस्थितियां हैं- समीपस्थ और दूरस्थ। समीपस्थ हमारी वाचा-कर्मणा का परिणाम है। यह हमारे व्यवहार से प्रभावित होती है। फूल तोड़ कर पानी में रखें तो कुछ समय चलेगा। यूं ही छोड़ेगें तो मुरझा जायेगा। लेकिन दूरस्थ परिस्थितियां हमारी भावनाओं और विचारों से प्रभावित होती हैं। हम ध्यान से समझें तो सात समुद्र पार हमारे दूरस्थ मित्र या संबंधी के हृदय या मस्तिष्क की भावना हमारे हृदय और मस्तिष्क की भावनाओं के अनुरूप ही होगी। विचारों की तरंगे वचन और कर्म की तरंगों से कहीं अधिक शक्तिशाली होती हैं। यद्यपि विचार, वचन और कर्म अर्थात मनसा-वाचा-कर्मणा से उत्पन्न तरंगे वातावरण में रहती हैं किंतु विचार-तरंग बहुत गहरी जाती है। यही कारण है कि हम जैसा सोचते हैं हमें वैसा ही मिलता है, हमने समझा है कि विचार और कर्म, ब्रह्माण्ड को कैसे प्रभावित करते हैं और हमारे व्यक्तिगत विचार और कर्म पर वैसी ही ब्रह्माण्डीय प्रतिक्रिया होती है। हमारे वातावरण की गुणवत्ता हमारे जीवन की गुणवत्ता के अनुसार ही होती है, यदि हम लेने के पहले देने के सिद्धांत से निर्देशित हैं तो परिणाम उसी अनुपात में होते हैं। हम जो देते हैं उसे हमारी परिस्थितियां विभिन्न रूपों में हमें लौटाती हैं। कुछ लोग कहते है कि मनुष्य परिस्थितियों का दास है किंतु यथार्थतः परिस्थितियों का स्थायी होना हमारे स्वयं के वश में है। इसलिये भावातीत ध्यान आवश्यक है क्योंकि वह हमारी अंतररात्मा और जीवनसत्ता से हमें जोड़ता है। हमें वह सब अनुभव होने लगता है जो एकाग्रता तथा आत्मानुशीलन के अभाव में अनुभव नहीं हो पाता था। हमें एक ऐसी आनंद-चेतना की प्राप्ति होने लगती है जो जीवन के प्रति समग्र दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप परिस्थितियों की अनुकूल प्रतिक्रिया सुनिश्चित कर देती है, समग्र चैतन्य व्यक्ति में ब्रह्माण्डीय चेतना का प्रवेश हो जाता है। तब हम मन व मस्तिष्क से जीवनसत्ता के स्तर पर आ जाते हैं, यही वह स्तर है जिससे नौसर्गिक नियम सभी प्रकार के विकास को स्वयंपोषित बना देते हैं। ब्रह्मचैतन्य व्यक्ति मनसा-वाचा-कर्मणा ब्रह्म-निर्देशित होता है। वह व्यक्ति होते हुये भी भगवान का यंत्र बन जाता है। ऐसे प्राणी की परिस्थितियां स्वयंमेव अनुकूल रहती हैं। हम बलपूर्वक अर्थात पुरूषार्थ मात्र से केवल आंशिक और अस्थायी सफलता ही पा सकते हैं। चक्रवर्ती सम्राट भी अपनी परिस्थितियों और अंतरनिहित संभावनाओं का सम्पूर्ण उपयोग शायद ही कर पाये हों। इसके लिये प्रकृति से तालमेल बैठाना होता है। चेतना का स्तर बढ़ता है। फिर हम भावातीत-तुरीय चेतना तक पहुंच जाते हैं। इस मानसिक और आध्यात्मिक स्तर को प्राप्त करने के लिये ही भावातीत ध्यान पद्धति का सहारा लेना होता है। उसके द्वारा हम शनैः शनैः अपने भीतर उतर कर उन अथाह गहराइयों का स्पर्श करने लगते हैं जो आत्म-साक्षात्कार का एक मात्र माध्यम है। वर्तमान मनोविज्ञान हमें मानवीय संबंधों और अंतरक्रियाओं के अनेक पाठ पढ़ाता है लेकिन मात्र भौतिक सुझाव हमें हमारी परिस्थितियों का सदुपयोग नहीं सिखा सकते है। उनमें केवल लेना ही लेना है। जबकि हमें प्रकृति के अनुकूल बनकर और स्वयं का परिचय प्राप्त करके देना भी सीखना है। हृदय और मस्तिष्क की गुणवत्ता के सहारे निष्ठावान होने से सब कुछ मिल जाता है। जब कोई त्रासदी होती है तो सुझाव या संवेदना काम नहीं करते। मन में उथल-पुथल रहती है। लेकिन भावातीत ध्यान मन को स्थिर करके शांति देता है जो परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में निर्णायक योगदान देती है। ब्रह्मचारी गिरीश कुलाधिपति, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश एवं महानिदेशक-महर्षि विश्व शान्ति की वैश्विक राजधानी, भारत का ब्रह्मस्थान, म.प्र.
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  • शिलान्यास

    2017

    250 वैदिक पंडितों के लिए नए भवन निर्माण के लिए महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ अयोध्या आश्रम में आज शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर श्री प्रकाश श्रीवास्तव जी वैदिक पंडितों के साथ उपस्थित थे।
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  • Hanuman Jayanti

    2017

    Brahmachari Girish Ji performing Aarti during Hanuman Jayanti Pujan.
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  • Hanuman Jayanti

    2017

    Shri Hanuman Pujan was performed on 18th October Hanuman Jayanti at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham Parisar Bhopal in presence of Vedic Pundits and citizens of Bhopal.
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  • Mahalakshmi Pujan

    2017

    Sahasranamawati archna was offered with beautiful pink Gerbera flowers. Mahalakshmi Ji covered with flowers.
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  • Mahalakshmi Pujan

    2017

    Mahalakshmi Pujan was performed by Brahmachari Girish Ji with Vedic Pundits at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal on Deepawali with the sankalpa of peace, prosperity, perfect health of world family and removal of poverty from the family of nations.
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  • Mahalakshmi Pujan

    2017

    Mahalakshmi Pujan was performed by Brahmachari Girish Ji with Vedic Pundits at Maharishi Ved Vigyan Vishwa Vidyapeetham campus Bhopal on Deepawali with the sankalpa of peace, prosperity, perfect health of world family and removal of poverty from the family of nations.
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  • Republic Day 2017

    2017

    National Flag of India was hoisted at Gurudev Brahmanand Saraswati Ashram, Chhan Bhopal by Brahmachari Girish Ji with Acharyas, Vedic Pundits and staff of Maharishi Ved Vigyan Vidyapeeth. After National Anthem, Rashtra Sukta was also chanted by Yajurvedi Pundits. Addressing the audience Brahmachari Girish Ji said that India is the supreme power in the world having ancient Vedic knowledge and Vedic...
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  • Mahalakshmi Pujan on Deepawali

    2017

    Mahalakshmi Pujan on Deepawali
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